Thursday 9 April 2015

शेखजी की गप्प - शेखचिल्ली की कहानियां

एक दिन सुल्तान मीर मुर्तजा ने सेनापति शेखजी को नीचा दिखने के लिए एक अजीब प्रश्न पूछा -"क्यों सेनापति जी! दुनिया में सबसे बड़ा राजा कौन है ?"
"अंग्रेजों की रानी एलिज़ाबेथ और रानी विक्टोरिया ।" शेखचिल्ली ने जवाब दिया ।
"क्या मतलब?" सुल्तान ने आश्चर्य से पूछा ।
"उनके राज्य में कभी सूरज नहीं डूबता । उनका राज्य पूरब से पश्चिम तक फैला हुआ है ।"
सुनकर सुल्तान चुप हो गए।
एक दिन सुल्तान और शेखचिल्ली शिकार खेलते खेलते जंगल में चले गए ।

Sunday 5 April 2015

शेखचिल्ली रेलगाड़ी में - शेखचिल्ली की कहानियां - Shekhchilli Stories

शेखजी ने बहुत सी नौकरियां की लेकिन उनका दिल नौकरी में नहीं लगता था । एकदिन उन्होंने मुंबई जाने की सोची , नौकरी करने के लिए नहीं, बल्कि हीरो बन्ने के लिए ।


वह सोचने लगे - 'कलाकार तो वह है ही, उसे फिल्मो में मौका भी मिल सकता है। एक बार फिल्मों में आ जाये तो वह तहलका मचा सकता है । चारों और उसी के चर्चे होंगे ।'

लम्बी दाढ़ी वाले बेवकूफ - शेखचिल्ली की कहानियां - Shekhchilli Stories

शेखजी ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे लेकिन पुस्तकें पढने का उन्हें बड़ा शौक था । एक दिन शेखजी कोई पुस्तक पढ़ रहे थे । तभी उनकी निगाह एक जगह लिखे कुछ अक्षरों पर पड़ी । लिखा था - 'लम्बी दाढ़ी वाले मूर्ख होते हैं ।'

यह वाक्य पढ़ते ही शेखजी का हाथ तुरंत अपनी दाढ़ी पर गया । पूरी एक फुट लम्बी दाढ़ी पर हाथ फेरते हुए शेखजी ने सोचा - 'तब तो लोग हमें भी मूर्ख समझते होंगे ।'

Thursday 2 April 2015

प्यार ही खुदा है - शेखचिल्ली की कहानियां - Shekhchilli Stories

एक दिन शेखजी अपनी अम्मी के साथ बैठकर खाना खा रहे थे । अम्मी ने शेख को दूध दिया । दूध देखकर शेखजी ने अम्मी से पूछा - "अम्मी जान दूध सफ़ेद क्यूँ होता है ?"
"अल्लाह ने बनाया है बेटा।" अम्मी ने कहा ।
"सफ़ेद ही क्यों बनाया है ?"
"क्योंकि अल्लाह की दाढ़ी सफ़ेद है इसलिए ।"
"अल्लाह का रंग भी सफ़ेद है ?"
"जरुर होगा बेटे ।"

Monday 30 March 2015

अंतिम पड़ाव

”जीवन-यात्रा के इस अंतिम पड़ाव तक आपको विदा देने आई हूँ बाबूजी! आपने अपनी इहलोक की यात्रा अपूर्व आत्मविश्वास और साहस के साथ पूर्ण की है। विश्वास है परलोक की यात्रा आपकी निरापद होगी।“ हाथ जोड़, बाबूजी को अंतिम प्रणाम कर मिन्नी चिता से दूर हट आई थी।
चिता के बाहर से बाबूजी के दो पांव भर दिख रहे थे, उनका पूरा शरीर मोटी-मोटी लकड़ियों से ढक दिया गया था। अचानक पानी की बौछार पड़ने लगी।